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Belief System Explained in Hindi by Two Powerful Examples | Belief System के 2 बहेतरीन Examples

Belief System Explained in Hindi by Two Powerful Examples | Belief System के 2 बहेतरीन Examples #motivationalblogs #beliefmotivation #selfbelief


यह तो आप सब ने अक्सर सुना ही होगा की हम आज जो भी है, जैसे भी है, जहाँ भी है, वह सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे Belief System की बजह से ही हैं। यह बात मैंने भी आपको मेरे previous बनाये हुए belief के blogs में बताई हैं।

लेकिन यह belief बनता कैसे हैं, कौन कौन सी चीज़ें हमारे belief को create करने और ठोस बनाने में काम करती हैं? वह में आपको इस belief motivational blog in Hindi में 2 ऐसे examples के through बताउगा जो इस दुनिया में सिर्फ़ हम पर ही नहीं बल्कि हर एक वह चीज़ जिसमें जान है उन सबके ऊपर लागु होती हैं।


तो शरू करते हैं, पहला Example:


आप सब ने भवरें को तो देखा ही होगा, कभी न कभी कहीं न कहीं आपके सिर पर मंडराया भी होगा। लेकिन आपको शायद पता हो तो यह भवराँ कभी पैदा नहीं होता, उन्हें बनाया जाता है, वह भी belief system ज़रिए! एक इल्ली को पकड़ कर उनके अंदर belief create करके उसे ठोस बनाया जाता है जिनसे भँवरे का निर्माण होता हैं!


सबसे पहले भंवरा इल्ली को पकड़ कर ऐसी जगह पे उसे रखता हैं जहाँ से कहीं भागना तो दूर वह हिल भी नहीं सकती। फ़िर भंवरा उस पर इस purpose से दंश मरना शरू करता हैं की वह इल्ली नहीं रहे बल्कि उन्ही की तरह भंवरा हो जाए। सिर्फ एक ही बार, एक ही दिन नहीं बल्कि हर रोज़ बार-बार एक particular timing के साथ दंश मरता रहता है। यह चीज़ वह तब तक करता हैं जब तक इल्ली यह न मानलें की वह इल्ली नहीं, वह भंवरा हैं! नतीजन, समय रहते होता यह हैं कि इल्ली पंख धारण करना शरू कर देती है! सिर्फ इतना ही नहीं, वह भँवरे की तरह रूप लेने लगती हैं, यहाँ तक की वह खुदको भूल कर हूबहू भाँवरें जैसी हरकतें अपनाकर खुद भंवरा बन जाती हैं! और उन्हीं की तरह उड़ने और यहाँ वहां मंडराने लगती हैं! यानि, अब इल्ली जो थी वह इल्ली नहीं रही, बल्कि totally भंवरा बन चुकी हैं! एक नया भंवरा!


इस तरह से भंवरा बनाया जाता है, वह कभी पैदा नहीं होता! यह सारा process सिर्फ़ एक belief का खेल है, जो belief भंवरा एक इल्ली के अंदर भरता है, जिनसे वह इल्ली की प्रजाति को ही बदल देता हैं और भँवरे की प्रजाति में तब्दील कर देता हैं।


इसी तरह, दूसरा Example:


आपने घोड़े को या गाय, भैंस, बैल किसीको तो देखा ही होगा जिन्हें ग्वाले ने या पशु के रखवाले ने पाला होता हैं। अगर अापने गौर किया हो तो वे इन पशुओं को एक जगह टिका के रखतें हैं, सिर्फ एक खूंटे के साथ बांध कर! जी हाँ, सिर्फ़ एक छोटे से खूंटे के साथ बांधा जाता है और इतना बड़ा घोड़ा, गाय, बैल या भैंस अपनी जगह से हिलते तक नहीं।


आपको क्या लगता हैं घोड़ा चाहें तो सिर्फ़ अपनी थोड़ी सी ताकत लगाकर वह खूंटा उखाड़ नहीं सकता? क्या गाय, बैल या भैंस में इतनी ताकत नहीं होती की वह एक छोटा सा खूंटा उखाड़ सकें? सिर्फ़ खूंटा तो क्या, वे चाहें तो जिस तबेले में उन्हें रखा होता है उस पुरे तबेले को सिर्फ़ कुछ ही देर में तहस-नहस कर सकतें हैं!


लेकिन वे ऐसा करते क्यों नहीं है! क्या उन्हें कभी तबेले से आज़ाद होने का मन नहीं करता? क्यों वे एक ही जगह पर बंधे रहना पसंद करतें हैं? इन सबका एक ही जवाब है, Belief! उन सभी पशुओं के अंदर पहले से ही ऐसा belief establish कर दिया जाता हैं, कि वे जिस खूंटे से बंधे है उनको कभी उखड ही नहीं सकते! उनमें वह ताकत ही नहीं है की वे खूंटे और तबेले को तोड़ कर वहां से बहार निकल सकें! लेकिन, हम सब जानते हैं, कि real में ऐसा बिलकुल ही नहीं हैं।


So अपने देखा! कैसे सिर्फ़ belief से पशु की ताकत को एक limit के दायरे में बांध कर उन्हें उसी तरह treat किया जाता है, जैसा उनका मालिक चाहता हैं।


इन दोनों examples की तरह same चीज़ हम पर भी लागु होती हैं। पहला example देखें तो उसमें इल्ली हम हैं और भंवरा हमारे आसपास के लोग और हमारा environment हैं जिसमें हम रहते हैं। यानि जैसे भँवरे के लगातार दंश की बजह से इल्ली अपनी पहचान संपूर्णत: भूल कर खुदको भँवरा बना लेती है, बिलकुल इसी तरह हम अपने ऊपर दुसरो के mindset और हमारे प्रति उनके बेतुके opinion और फ़िज़ूल की सोच हावी होने देने की बजह से खुदकी पहचान भूल कर उनके जैसा ही बन कर रहते हैं, न तो कभी ज़िन्दगी में खुदको पहचानने की कोशिश करते हैं और न ही हम वह करने का प्रयास करते है जो हमारे लिए ज़रूरी है, जो हमें pleasure देता है, जिनके लिए हम बने हैं।


उसी तरह दूसरा example हम देखें तो यहाँ पशु की जगह हम है और खूंटा हमारा अपने अंदर बनाया हुवा limitations से बंधा हुवा belief है। यह ऐसा belief है जो हमें हमारे comfort zone से बहार नहीं निकलने देता, हमें हंमेशा यही जताता रहता है, कि हम हमारा environment जितने दायरे में बंधा हुवा है इतने में ही रहे। यह हमें हमारी ताकत को पहचानने से रोकता हैं, हमें खुद पर शक करने पर भी मजबूर तक कर देता हैं। यह हमारे अंदर रहे हुनर, हमारे dreams, हमारा passion, यहाँ तक की हमारे अंदर छिपी बची कूची positive सोच और ज़िन्दगी में कुछ हटके-कुछ बड़ा करने की चाह को भी नष्ट नाबूद कर सकता हैं!


लेकिन, फिर भी एक बात हमारे अंदर ऐसी है जो हमें पशुओं से अलग बनाती हैं। जो है, हमारा Thinking Power. यह power हमारे अंदर रहे limitations और negativity से भरे belief को सुधार कर ऐसे positive belief में बदल सकता हैं जिनसे हम खुदकी पहचान करके खुदके passion को follow कर दुसरो की बातों को ignore करके, खुद पर शक किए बिना हम अपनी ज़िन्दगी को उस रस्ते पर आगे बढ़ा सकते हैं जो हमें हमारे जीवन में भरपूर ख़ुशी और ज्वलंत success देगा।


अब सोचना आपको हैं, कि आप पशुओं की तरह अपने आपको ऐसा इंसान बनाना चाहते है जो हंमेशा अपनी life को सिमित और common रखदें? या आप अपनी इंसानी ताकत पहचान कर अपने passion को follow कर एक fully happy और highly successful इंसान बनाना चाहते हैं? जैसा भी आप चाहें वैसा आप बन सकतें हैं, बस एक ही चीज़ है जो इन सब के लिए matter करती हैं, आपके अंदर रहा आपका "Self-Belief".


"There is only one way to make our every wish worthwhile, our self made Belief".


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