Jivan Kaise Jina Chahie | Aap Kaise Jeena Chahte hain | life motivation | 1 Simple Life Lesson for How to Live Life in Hindi #motivationalblogs #howtolivelife #lifelesson
इस दुनिया में दो तरह के लोग होते है:
एक वो, जो खुदको दूसरों के साथ compare करते है। और कुछ इस तरह की सोच रखते है:
"जो दुसरो के पास है वैसा मेरे पास क्यों नहीं है!" "उसने यह किया, तो में भी क्यों न करू!" "मुझे भी ऐसा ही करना चाहिए जैसा सब लोग कर रहे है। क्योंकि, आजकल सब यही चलता है और ऐसा ही होता है।" "उसने यह किया और इतना बड़ा आदमी बन गया, तो में भी यही करुगा और इतना बड़ा बन जाउंगा!" "चाहे मुझे interest हो या न हो, लेकिन फिर भी में इसी field में जाउगा, क्योंकि मेरे सब दोस्त भी यही कर रहे है।"
ऐसे लोग दुसरो को देखके, खुदको दूसरों से compare करके जीते है, जिसे followers कहा जाता है।
दूसरे वो, जो यह देखते है कि वे खुद क्या है, और कहाँ है? और कुछ इस तरह की सोच रखते है:
"दुसरो के पास जो भी हो, लेकिन मेरे पास वही होना चाहिए जो मेरी ज़रूरत है।" "दूसरे लोग चाहे जो भी करें, में तो सिर्फ वही करूँगा जो मुझे मेरे लिए बेहतर लगे, जिसमें मेरा interest भी हो।" "अगर कोई highly-successful है, तो में उससे inspire या motivate ज़रूर हो सकता हूँ, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की में भी वही सब करूँ।" "मुझे खुदको assess करना है, और यह देखना है की मुझमें वो क्या quality है जिससे में खुदको बेहतर इंसान बना सकूँ, और अपनी life में आगे बढ़ सकूँ।" "क्या में कुछ ऐसा कर सकता हूँ, जो आजतक किसी ने न किया हो और लोगों को भी उससे benefit हो।" "मुझे उस रास्ते पर नहीं चलना जहाँ सब लोग जा रहे। बल्कि उस रस्ते पे चलना है जहाँ में चलना चाहता हूँ, जो रास्ता वाकही में मेरे लिए बना है।"
ऐसे लोग उस तरह से जीते है जैसे वो जीना चाहते है, और अपनी ज़रूरत के हिसाब से सब establish करते है। इसलिए इसे establishers कहा जाता है।
ताजुब की बात यह है, कि यह दोनों तरह के लोग अपनी life में successful होने का potential रखते है और success हो भी जाते है। फर्क सिर्फ़ सिर्फ इतना होता है, कि जो follower होता है वह success पाने के बाद भी Happiness नहीं पाता, उसके अंदर अभी भी वह आदत होती है जो खुदको दूसरों से compare करवाती रहती है जिससे उससे वह सुकून नहीं मिलता जो उसको चाहिए, क्योंकि उसने कभी यह सोचा ही नहीं होता कि वह वाकही में क्या चाहता है। बस दुसरो से खुदकी comparison में ही वह अपनी need को ढूंढता रहता है और अपनी life को इसी way में चलाता रहता है।
लेकिन जो खुदको assess करके, अपने interest और need को ध्यान में रखकर success पाता है उसके पास happiness की कमी न success होने के पहले होती है और न ही success होने के बाद होती है। क्योंकि, वह पहले से ही वो करता आ रहा है जैसा वह चाहता है। दूसरों से compare करने हे बजाये उसे खुदको discover करना अपने लिए ज्यादा अच्छा लगता है। और यही चीज उसे life में हमेशा आगे बढ़ाए रखती है, वो भी pleasure और satisfaction के साथ।
अब आप सोचें, कि आप कैसे जीना चाहते है, Follower बनकर या Establisher बनकर?
धन्यवाद!
"Whatever be the follower or establisher, success will be in both the ways, but will this success be what you want!"
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