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Manasik Dar Ko Dur Kaise Karen | How to Overcome Psychic Fear | Fear Motivational Blog in Hindi

Manasik dar ko dur kaise karen | How to Overcome Psychic Fear | Fear Motivational Blog in Hindi #motivationalblogs #fearmotivation #motivational


कोई ऐसी चीज जिससे हमें खतरा हो, जिस पर काबू पाना हमारे बस में नहीं है ऐसा हमे लगता हो, और उसी चीज़ को सोचते रह कर हम मन ही मन घबराते रहते हो, उसी चीज़ को डर कहा जाता है।

डर वास्तविक भी हो सकता और मानसिक भी। वास्तविक मतलब actual जिस चीज़ को लेकर हम घबरा रहे है वह चीज़ सही में है। मानसिक मतलब कोई ऐसी चीज़ है ही नहीं लेकिन फिर भी हम उसे अपने मन में सोच सोच कर घबराते रह कर अपने आपको डराते रहते है। जितना हम वास्तविक डर को लेकर चिंतित नहीं होते उससे कहीं ज्यादा मानसिक डर हमें चिंतित करता रहता है। और 100% fact की बात तो यह है की पूरी दुनिया में ज्यादातर लोग वास्तविक के मुकाबले मानसिक डर से अपने आपको बेहद दुखी कर रहे होते है। और इस fear motivational blog में हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे।


मानसिक डर कुछ इस तरह के होते है: For Example, अगर कोई ऐसी घटना आपके साथ घटित हुई like न चाहते हुए भी आपका किसी से झगड़ा हो गया और हद से भी पार चला गया। अब उस situation में आप खुदको कोसेंगे, कि "न चाहते हुए भी मुझसे यह क्या हो गया?" साथ में यह भी सोच कर खुदको पागल कर देंगे, कि "अब आगे? आगे इसका अंजाम क्या होगा?" और यही अंजाम के बारे में अनुमान लगा कर अपने mind में हम ऐसी-ऐसी imagination create करते है जो हमारा डर बन जाती है, एक ऐसा डर जो वास्तव में है ही नहीं, बस एक तरह का ख़याली पुलाव है! जो हम खुदको ज्यादा परेशानी में डालने के लिए बनाते रहते है।


कुछ मानसिक डर ऐसे भी होते है जो ख़ामख़ा हमारे दिमाग में हो रहे भ्रमित ख्यालों की वजह से create होते है। For Example,


किसी को आग से डर लगता है, like, कोई आग भरी ऐसी घटना कहीं पर देख ली जो दिमाग में इस तरह से छप चुकी है कि अगर वह इंसान ज़रा सी भी आग कहीं देखलें तो घबराहट महसूस करने लगेगा और इस तरह से बेचैन हो जाएगा जैसे वह आग उनको नुकसान पहुंचा रही हो!


किसी को ऊंचाई से डर लगता है, like, कोई hill station के छोर पर या कोई 100 मंजिला building के terrace पर खड़ा रहे और सामने की और या निचे की और नज़र करे तो उन्हें घबराहट सी होने लगेगी, उन्हें ऐसा लगने लगेगा कि वह अभी गिर जाएगा!


किसीको दुर्घटनाओं को देख या सुन कर डर लगता है, like, कोई खतरनाक accident, किसके साथ हुई लूंट, किसके कोई गंभीर हालात से हुए उन पर दुख जो बहुत ही दर्दनाक हो, या कोई horror कहानी या ऐसी कोई real वाली horror moment, ऐसी चीजों के बारे में सुनेगा या देखेगा तो वह खुद भी अपने आप को उनसे relate करके ऐसा सोच सोच कर डरेगा और mentally बेचैन रहेगा, कि ऐसी घटना अगर उनके साथ हो जाये तो क्या क्या होगा।!


लेकिन सच मानो, तो वास्तव में ऐसा कुछ तो न ही होता है और न ही हो सकता हैं। यह बस हम अपने निराशावादी रवैये से सोच सोच कर खुदको खामखा बेचैनी और मानसिक दुविधाओं से भरने के लिए करते रहते हैं। इसमें हमारा भी दोष नहीं है! क्योंकि हमारे mind की natural activity ही यही है, कि हम जो भी बुरा या अच्छा देखते है तो तुरंत हमें इसी तरह के बहुत ख्याल आने लगते है और कुछ कुछ चीजों से हम खुदको relate भी करने लगते है।


लेकिन इसमें दुविधा की बात यह है, कि हमारा mind जितना अच्छी चीज़ों से relate करता है उस से कहीं ज्यादा बुरी या unwanted चीज़ों से relate करता हैं। और इन्हीं चीजों में कुछ चीज़ें ऐसी होती है जो हमें खयालो में आकर डराती रहती है। और कभी-कभी ऐसे डर हमारी आदत तक बन जाते है। जिसे एक तरह का वहम भी कहा जाता है।


इनसे निपटने का एक ही रास्ता है, हमें अपने mind से ऐसी वहमी चीज़ों को एक भ्रम समझकर जो वाकही में एक भ्रम ही है उसे पूरी तरह से बाहर निकाल के एक ऐसी clarity देकर खुदको ऐसी सोच अपनानी होगी को reality based हो। लेकिन यह होगा कैसे? क्योंकि बहुत सारी ऐसी ख़याली thinking है जो हम छोड़ना चाहे तो भी छोड़ नहीं पाते, जो कैसे भी करके हमारे ख्यालों में आ ही जाती है। तो कैसे हम उनसे निपट पाएंगे?


एक simple लेकिन बेहद ही असरदार तरीका है जिससे हम ऐसी ख़याली चीजों से आसानी से निपट सकते हैं।


एक छोटा सा सवाल है "क्या यह संभव है?"

दूसरा छोटा सा सवाल है "अगर संभव है, तो क्यों है?"

तीसरा छोटा सा सवाल है "कैसे हो सकता है?"


जब कोई भी भ्रमित ख्याल दिमाग में आए तब उस ख्याल के सामने यह point रखें, कि जो आप सोच रहे हो, क्या वह वाकई में हो सकता है? ज़्यादातर बेतुके ख्याल तो यही पर stop हो जायेगे। आपके सामने साफ हो जायेगा की जो डरावना भ्रम आप पाल रहे हो वो कभी होना ही नहीं है।


फ़िर भी अगर कुछ ख्याल ऐसे लगें जिनको लेकर ऐसा जवाब आए आपके दिमाग से, कि यह वाकई में possible हो सकता है। तब तुरंत दूसरा point रखें, कि अगर यह वाकही में possible है, तो क्यों है? क्या ऐसा reason है जो उस ख्याल को possible बनाएगा? इसमें भी majority बेतुके ख्याल में कोई possibility वाला answer आपको नहीं मिलेगा।


अगर कोई reason आपको मिल भी जाए तो फिर से उस reason पर यही सवाल करें, कि यह reason कैसे हो सकता है? कैसे यह possibility दिखा सकता है? We guaranteed, आपको कोई ऐसा answer नहीं मिलेगा जो आपके ऐसे भ्रमित ख्यालों की possibility दिखा सकें। फिर भी अगर कुछ और reason मिलें तो फिर से उस reason पर यह same सवाल करें, कि "यह reason कैसे हो सकता है?"


लास्ट में सभी भ्रमित ख्यालों का सिर्फ एक ही conclusion मिलेगा, जो होगा "कुछ भी नहीं।" Reasons शायद बहोत सारे सामने आ जाए, फिर भी कोई ऐसा ठोस reason या answer आपको नहीं मिलेगा जो आपके डरावने as well as भ्रमित ख़यालों की possibility दिखा सकें। सब अपने आप आपके आमने clear हो जाएगा, कि आप जिस चीज़ को लेकर बेचैन हो या डर रहे हो या फिर को भ्रमित ख्याल अपने दिमाग में समां कर बैठे हो, ऐसा कुछ भी कभी था ही नहीं, ऐसा कुछ भी अभी है भी नहीं और कभी ऐसा कुछ होगा भी नहीं।


"Mental fear arises from confused thoughts. If you deal with them, then understand that you have won the world!"


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