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Motivational Story in Hindi #8 | Break तो बनता है! | तनाव का इलाज | Treatment for Stressful Life

Motivational Story in Hindi | तनाव का इलाज | Treatment for Stressful Life #motivationalblogs #motivationalstory #motivationalstoryhindi


संजय नमक एक व्यक्ति जो बहुत सफल बिजनेसमैन था। वह अपने व्यापार से बेहद लगाव रखता था; और केवल इसी के बारे में जानता था और वही करता था। वह रोज अपनी ऑफिस और काम के बारे में ही सोचता था। रात को सोने से पहले, वह अपने दिमाग में अपनी व्यावसायिक समस्याओं के बारे में सोचता था। हर पहलू पर ठीक से सोचता और फैसला करता था। वह हमेशा यह सुनिश्चित करता था कि उसके पास उन सभी चीज़ों का जवाब हो, जो उनके व्यवसाय से संबंधित हो।

व्यापार जगत में संजय को बेहद बुद्धिमान माना जाता था; फिर भी वह अपने लोगों के बीच एक आदमी से ज्यादा रोबोट की तरह माना जाता था।


हर कोई उनका सम्मान करता, लेकिन वह किसी को ज्यादा भाव नहीं देता था। यहां तक कि उनके परिवार वाले भी उन्हें प्यार नहीं करते थे। उसके आसपास ढेर सारे लोग होने के बावजूद भी वह एक अकेले इंसान की तरह रहता था, मानो वह मानव संपर्क से पूरी तरह से कटा हुआ हो। उनकी पूरी दुनिया कटे-फटे कैलकुलेशन के इर्द-गिर्द घूमती रही। वह सहकर्मियों से बड़े अभिमान के साथ यह जताता, “मुझे समस्याओं के टुकड़े दो। चाहे वह गोल, चौकोर, अंडाकार या कोई अन्य आकार क्यों न हो! मेरे पास उसको ठीक करने का इलाज है। लेकिन मुझे लोगों से दूर रहने दो। क्योंकि, आप उन्हें समझ नहीं सकते।" उसका इस तरह का अहंकार उसे धीरे धीरे anxiety, stress और गहरे अकेलेपन की तरफ धकेल रहा था जिसका उसे ज़रा सा भी ख्याल नहीं रहता था। यहां तक की उनका ख़ास दोस्त जो उनका खास डॉक्टर भी था, उसने भी उसे इस बात से अवगत कराने की कोशिश की, लेकिन वह फिर भी नहीं समझता था।


एक दिन हुवा यूँ, संजय को गहरा दिल का दौरा पड़ा। और इलाज के लिए उसके डॉक्टर दोस्त को बुलाया गया।


डॉक्टर का फैसला उसे निराश करने वाला था। उन्होंने कहा, “संजय, तुम चीजों को हल्के में न लेने की मेरी सलाह को नजरअंदाज कर रहे हो। मैं अब तुम्हारी एक भी नहीं सुनूंगा। अगर तुम अभी भी मेरी सलाह को नहीं मानोगे, तो तुम गहरे संकट में पड़ जाओगे। तुम्हें अभी इसी वक्त सख्ती से अपने व्यापार वगैरह को छोड़ देना चाहिए और अगर हो सके तो, तुम्हे किसी एकांत वाली जगह पर जा कर वक्त बिताना चाहिए, और तीन महीने तक केवल शांति और आराम का जीवन जीना चाहिए। कोई ईमेल, टेलीफोन कॉल या कोई भी व्यसायलक्षी चीज़ तुम नहीं करोगे। समझ में आया?"


संजय समझ गया। लेकिन उसके लिए यह सब करने का मतलब था दुनिया का अंत होना। वह 50 का होने के बावजूद अभी भी अपने व्यवसाय के प्रति आशावान व्यक्ति था, बड़े लम्बे अरसे से उन्होंने अपने व्यवसाय को छोटी सी शुरुआत से लेकर अब तक के उच्चतम पद पर पहुँचाया था।


लेकिन मजबूरन अब संजय को एकांत में रहने की जरूरत थी। इसलिए अब वह सभी तरह की चीजों से पूरी तरह से दूर हो गया था और एकांत में कुदरती वादियों में कैद था। इस तरह से रहने में उसे नफरत हो रही थी, लेकिन क्या करे? रहना ज़रूरी था।


एक दिन, जब संजय वादियों में ऐसे ही टहल रहा था, तब दूर से उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी अकेले बैठा कुछ कर रहा है। जब वह पास गया तो उसने देखा कि वह आदमी अपने आसपास फूल के पौधे उगा रहा था। उसकी सफेद दाढ़ी और चमकीली भूरी आँखें थीं। संजय उससे बात करने के लिए आगे बढ़ा और पूछा, "यह आप क्या रहे हो?"


"मेरा यह बगीचा है जिसमें मैं फूल के पौधे लगाता रहता हूँ।" उस बूढ़े आदमी ने जवाब दिया।


"क्यों? आप फूल बेच कर पैसे कमाते हो?" संजय ने पूछा।


"नहीं, बस ऐसे ही लगाता हूँ।" बूढ़े आदमी ने जवाब दिया।


"ऐसे ही! ऐसे ही करने से क्या मिलता है?" संजय ने पूछा और कहा, "यह तो समय की बर्बादी है।"


उस बूढ़े आदमी ने मुस्कुराते हुए उसके सिर और फिर उसकी छाती को छुआ। और कहा, "बैठो यहाँ।"


संजय बैठ गया। उस बूढ़े आदमी में कुछ तो था जिससे संजय प्रभावित हो रहा था।


बूढ़े आदमी ने कहा, "मैं तुम्हें देखता हूं, तुम हर दिन यहाँ से टहलते हुए निकलते हो, लेकिन यहां नहीं रहना चाहते। तुम कहीं और जाना चाहते हो, लेकिन वहां जा नहीं सकते। तो फिर अभी जहाँ हो उसे ही अपनाकर रखो। अब मैं तुम्हें बताऊंगा मुझे फूल पौधे उगाने से क्या मिलता है।"


"हर रोज़ यह एक ही चीज़ करके मैंने उस ज्ञान को समझ लिया है कि सब कुछ हम इंसान नहीं कर सकते है। कुछ और भी है जो हमसे भी परे है। जैसे की यह फूल! हम सिर्फ एक पौधा बोते और समय अनुसार पानी देते है फिर फूल का आना अपने आप होता है। और जब में कली को खिलते और उसमें से फूल को बनते देखता हूँ तब मुझे अपने साथ साथ उस ईश्वर के होने का भी एहसास होता है जो न सिर्फ़ इस पृथ्वी को बल्कि इस पुरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करते है। तब मुझे वाकही यह लगता है कि में इस कुदरत के बेहद करीब हूँ। और जीवन में जो सुकून मुझे मिलता है जिसको पाने के पीछे तुम भी लगे हुए हो उसे कहीं पर जाके पकड़ने की ज़रुरत नहीं है वह यहाँ बैठे भी पकड़ा जा सकता है। चाहो तो तुम भी कोशिश कर सकते हो।"


संजय ने हाँ कर दी, और हर रोज़ अपने बाकी के एकांत के दौरान उन्होंने बूढ़े आदमी के साथ पौधे बो कर और फूलों को खिलता देख वाकई यह महसूस किया कि उसका आनंद और उत्साह बढ़ रहा है। एक साल तक वह वहां रहा और फिर एकांत से वापस आकर डॉक्टर ने उसे जांचा तो वह पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ और सक्रिय था।


काम पर लौटकर वह न सिर्फ अपने काम में पहले की तरह सफल हो रहा था, बल्कि अब लोगों से अपने संबंधों में सुधार आने लगा था। वह सप्ताह में सिर्फ़ चार दिन काम करता है और हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को उस बूढ़े आदमी के यहाँ पौधे उगाने जाता।


यह कहानी विशेष रूप से व्यापार जगत में रहने वालों और तनावपूर्ण जीवन जीने वालों के लिए है जो यह सिखाती है, कि जीवन में भाग दौड़ करते रहने की वजह से हम उस एहसास से दूर हो रहे है जो इस व्यापार और चमक-दमक रही दुनिया से भी परे है। वह एहसास जो ज़िन्दगी सही मायने में जीना सिखाता है, जो हमें इस कुदरत के साथ जोड़ता है।


इसलिए व्यापार करना और पैसे कमाना सब सही है, लेकिन उसके साथ बिच-बिच में ब्रेक लेना भी ज़रूरी है। सभी समस्याओं से दूर जब हम यह करते है तब हम उस चीज़ को अपने भीतर पाते है जो हम अक्सर बाहरी दुनिया में ढूंढते है। एक ख़ुशी, एक सुकून, एक आराम और एक एक परम आनंदमय एहसास जो इस दुनिया की हर कीमती चीज़ से भी बेशकीमती है। और यही है तनावपूर्ण जीवन का सही इलाज।


"तनावग्रस्त जीवन का इलाज बाहरी ऐशोआराम नहीं बल्कि हमारी अंदरूनी खुशी है।" - तेजसराज


"The cure for a stressed life is not external pleasures but our inner happiness." - Tejasraaj


धन्यवाद।


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