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Motivational Story | सपने को हकीकत में बदलें | Turning Dreams into Reality Blog

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सपने देखना अच्छी बात है। सपना एक ऐसा एहसास है जो इंसान को कहाँ से कहाँ ले जाता है। सपनों की दुनिया में रहना हर किसी को पसंद होता है।

कुछ लोग अपने सपने पूरे करते हैं जबकि कुछ लोग केवल सपने देखते हैं। वे इसे पूरा करने की कोशिश भी नहीं करते। इसलिए ऐसी एक कहानी में आपके सामने यहां पेश की गई है जो उदाहरण है उस कोशिश का जो सपना पूरा करने के लिए करनी होती है।


एक बार एक आदमी ने सपना देखा कि वह अपने देश का झंडा लहराते हुए एक बड़े पहाड़ पर चढ़ रहा है। सपना देखते हुए तो वह बहुत खुश था। लेकिन जब वास्तविकता को देखा तो उसने महसूस किया कि यह सिर्फ एक सपना है जो देखने में बेहद अच्छा लगता है! उससे अपने मन की बात पता चलती है।


कुछ देर बाद वो व्यक्ति फिर सोचता है कि "क्या होगा अगर मैं इस सपने को हकीकत में बदल दूं!" सपना देखना मेरे हाथ में है तो पूरा करना भी मेरे हाथ में है। मैं 5 साल पहले पहाड़ चढ़ने के लिए गया था लेकिन हार कर वापस आया था। पर अब मैं पक्का जीतकर ही वापस आऊंगा।


वह व्यक्ति अपने सपनों को साकार करने के लिए फिरसे निकलता है। उनके साथ दस अन्य पर्वतारोही भी पहाड़ पर चढ़ने के लिए पैदल चल रहे हैं। यह व्यक्ति भी उसके साथ चलने लगता है। कुछ समय बाद सभी पर्वतारोही आराम करने बैठ जाते हैं लेकिन वह व्यक्ति(जो अपना देखा हुआ सपना साकार करने के लिए आया है) आराम करने के लिए नहीं बैठता है। वह सोचता है कि अगर मैं बैठ गया तो धीरे-धीरे आगे बढ़ने के बजाय पीछे छूट जाऊंगा! रास्ते में वह अपने आप से कहता रहता है कि "आज मैं जीतूंगा!"


वह चलना जारी रखता है। जब कोई पर्वतारोही चलते-चलते थक जाता है, तो वह सोचता है कि मुझे भी अब आराम करना चाहिए। साथ ही उनके दिमाग में एक और ख्याल आता है कि अगर आपको सपने को हकीकत में बदलना है तो रुके क्यों! ऐसे ही रुक जाओगे तो कभी पहाड़ के सिरे तक जल्दी नहीं पहुंच पाओगे इसलिए चलते रहो। कुछ दिनों बाद वह व्यक्ति पर्वत के सिरे से थोड़ा ही नज़दीक होता है और फिसल के वापस दूर धकेला जाता है। अब सिरा फिरसे दूर दिखने लगता है जो थोड़ी देर पहले बेहद नज़दीक दिख रहा था। वह व्यक्ति अपने आपको बेहद थका हुआ पता है और सिरे को दूर देख कर ऐसा एहसास करता है मानो उसे देखकर पहाड़ उस पर जोर से हंसते हुए और बोल रहा हो, "तुम वही पर्वतारोही हो जो 5 साल पहले मुझे देख कर जा रहे थे! तब भाग गए थे तो अब क्या उखाड़ लोगे?" यह एहसास उस व्यक्ति को इतना असर करता है जिससे उसे अपने असफल होने पर बहुत घिन आती है और खुद के अंदर से कुछ इस तरह से चीख निकलती है, कि "आज मैं देखने नहीं आया हूं, बल्कि दिखाने आया हूं! मेरा आत्मविश्वास, ताकत, और साहस अभी भी मेरे साथ है! मैं अपने देश का झंडा इस सिरे पर जरूर ज़रूर लगाऊंगा।


सारी थकान एक तरफ और उस व्यक्ति का जज्बा एक तरफ! वह फिरसे पहाड़ पर चढ़ने लगता है। ढलान इतनी ऊँची होती है की वह अक्सर सिरे के नजदीक पहुंचते ही नीचे गिर जाता है लेकिन फिर से उठ जाता है। रास्ते में कई कंकड़, बड़े-बड़े पत्थर भी उसके रास्ते की रुकावट बनते है, फिर भी यह व्यक्ति चलता रहता है। ढेर सारे प्रयास करने के बाद वह यात्री पहाड़ पर चढ़ जाता है और अपने देश का झंडा लहराता है और कहता है, "मैं जीत गया, आज मैंने कर दिया! मैं नहीं रुका, आज मैंने अपना सपना पूरा किया!" वह आगे यह भी कहता हैं कि "मैं अब तक जो करने की कोशिश कर रहा था वह आज कर चुका हूं।" वह वास्तव में खुदको एक साहसी व्यक्ति के रूप में पाता हैं!


इस कहानी में ऊँचे पर्वत का सिरा उस ऊँचे सपने को दर्शाता है जो हर एक इंसान अपने क्षेत्र के हिसाब से देखता है। और उसे चढ़ने वाला व्यक्ति वह है जो उसे पाने के ढेरों प्रयास करता है, बार बार गिर कर उठ चलता है। और नीचे से पर्वत के सिरे तक का पथरीला रास्ता उस बाधा को दर्शाता है जो हर उस व्यक्ति को बीच में आएगी ही आएगी जो अपने सपने को साकार करने की और चलता है। यह बाधाएं ऐसी वैसी नहीं होती, आपको उठा उठा कर वापस पटकने की ताकत रखती है। लेकिन अगर आप में दम है फिर से उठ खड़े होने का तो एक समय ऐसा ज़रूर आता है जब वह सारी बाधाएं आपके सामने घुटने टेक देती है और आपको उस शिखर तक पहुंचाने पर मजबूर हो जाते है जहाँ आप आपके सपने को साकार होता हुआ पाते है।


यह कहानी इस बात को बताती है, कि जो सपने हम देखते है वह साकार भी होते है लेकिन एक शर्त पर, आपके अंदर का जज़्बा कुछ इस तरह का होना चाहिए कि आप चाहे जितनी बार कोशिश करें, सपने को साकार करने की राह में आप भले ही बार बार वापस धकेलें जाएं फिर भी आप उठ खड़े होंगे, फिर से पिछली बार से इस बार दुगनी रफ़्तार से आगे बढ़ेंगे और किसी भी हाल में आप अपने सपने को वास्तविकता में तब्दील करके ही दम लेंगे।


"सपने साकार करने की राह में गिरावट तो बहुत है लेकिन फिर भी आप अपने प्रयास की मात्रा अनंत रखेंगे तो मजबूरन गिरावट को खत्म होकर आपको उस शिखर के सिरे तक पहुंचाना ही पड़ेगा जहाँ आपके सपने की तबदीली वास्तविकता में होती है।" - तेजसराज चोटालिया


"There is a lot of fall in the path of making dreams come true, but even if you keep the amount of your effort infinite, then you will be forced to end the decline and reach the end of the peak where your dream turns into reality." - Tejasraaj Chotaliya


धन्याद।


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